
|||धर्मवीर संभाजी महाराजांच्या चरनि मानाचा मुजरा |||
छत्रपती संभाजी महाराजांना समजन्या करिता - " श्रीनिवास पेंडसे " वा " बानगुडे पाटिल " यानी youtube.com सांगीतलेली काही व्याख़्या ने जरुर एकावित
- ईय वसूंधरा देवी धर्मेण खलु धर्यते |
- धृव स धार्यते वेदैस्ते धार्यते द्विजातिभि: ||
................... .................................. बुधभूषण
अर्थ ---- ही वसूंधरा (.भुमी) खरे पाहता धर्म-मार्गानेच धारण केली जाते , तिचे पालन , रक्षण केले जाते . या धर्माचे धारण (रक्षण ,पालन ) वेद करतात ; आणि त्यांचे रक्षण क्षत्रिय राजे करतात . क्षत्रिय न्रुपती तेच 'वेदन्य्य द्विज' होत.
|| धर्मवीर संभाजी महाराज|||
- देश धरम पर मिटने वाला। शेर शिवा का छावा था ।।
- महापराक्रमी परम प्रतापी। एक ही शंभू राजा था ।।
- तेज:पुंज तेजस्वी आँखें। निकलगयीं पर झुकी नहीं ।।
- दृष्टि गयी पर राष्ट्रोन्नति का। दिव्य स्वप्न तो मिटा नहीं ।।
- दोनो पैर कटे शंभू के। ध्येय मार्ग से हटा नहीं ।।
- हाथ कटे तो क्या हुआ?। सत्कर्म कभी छुटा नहीं ।।
- जिव्हा कटी, खून बहाया। धरम का सौदा किया नहीं ।।
- शिवाजी का बेटा था वह। गलत राह पर चला नहीं ।।
- वर्ष तीन सौ बीत गये अब। शंभू के बलिदान को ।।
- कौन जीता, कौन हारा। पूछ लो संसार को ।।
- कोटि कोटि कंठो में तेरा। आज जयजयकार है ।।
- अमर शंभू तू अमर हो गया। तेरी जयजयकार है ।।
- मातृभूमि के चरण कमलपर। जीवन पुष्प चढाया था ।।
- है दुजा दुनिया में कोई। जैसा शंभू राजा था? ।।
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